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जैसे-जैसे ई डी की जांच बढ़ रही है, शराब घोटाले में बड़ी-बड़ी हस्तियों के नाम आ रहे हैं सामने

  छत्तीसगढ़  . आसल बात न्यूज़.   राज्य के पूर्व आबकारी मंत्री और सुकमा के विधायक कवासी लखमा अभी ई डी प्रवर्तन निदेशालय  की हिरासत में है. शर...

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छत्तीसगढ़  .

आसल बात न्यूज़.  

राज्य के पूर्व आबकारी मंत्री और सुकमा के विधायक कवासी लखमा अभी ई डी प्रवर्तन निदेशालय  की हिरासत में है. शराब घोटाला मामले में उनसे लगातार पूछताछ की जा रही है. वह आगामी 21 जनवरी तक ई डी की हिरासत में रहेंगे. जांच में यह बात सामने आई है कि कवासी लखमा को उस दौरान इस घोटाले से प्रतिमाह कम से कम 2 करोड रुपए मिलते थे.इस घोटाला मामले में ई डी की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ते जा रही हैं इसमें नए-नए लोगों के नाम सामने आ रहे हैं.अब इसमें रिटायर्ड आईएएस अधिकारी विवेक ढांड का नाम भी सामने आ गया है या कहें कि इस घोटाला मामले में उनकी भी संलिप्तता के सबूत मिल रहे हैं.

ई डी रायपुर ने राज्य के शराब घोटाला मामले में पीएमएलए 2002 के प्रावधानों के तहत विधायक कवासी लकमा को 15 जनवरी को गिरफ्तार किया है.विशेष न्यायालय रायपुर ने उन्हें आगामी 6 दिनों तक के लिए ई डी की हिरासत में दे दिया है. इस तरह से वे 21 जनवरी तक ई डी की हिरासत में रहेंगे. प्रदेश के इस बहुचर्चित 2 हजार 161 करोड़ के शराब घोटाले में रिटायर्ड आईएएस अनिल टुटेजा, शराब कारोबारी अनवर ढेबर, csmpcl के पूर्व एमडी अरुण पति त्रिपाठी अभी सेंट्रल जेल रायपुर में बंद है.ईडी ने विशेष न्यायालय में विभिन्न दस्तावेज प्रस्तुत किए हैं जिसमें बताया गया है कि उक्त सभी लोगों ने मिलकर एक सिंडिकेट बनाया था और यह सिंडिकेट रिटायर्ड आईएएस विवेक ढांड के संरक्षण में काम कर रहा था.ईडी की हिरासत में कवासी लखमा से सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में लगातार पूछताछ की जा रही है. उन्हें डॉक्टर से प्रिसक्राइब्ड जरूरी दवाइयां भी उपलब्ध कराई जा रही है. यह बात भी सामने आई है कि इस घोटाले से जो पैसे मिले हैं उसमें से बहुत बड़ी राशि कावासी लखमा ने अपने बेटे के घर के निर्माण के लिए उपलब्ध कराई है.

ईडी ने आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत एसीबी/ईओडब्ल्यू छत्तीसगढ़ द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की। छत्तीसगढ़ राज्य में उक्त शराब घोटाले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1860 एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988. ईडी की जांच में पता चला कि कवासी लखमा को आबकारी विभाग के शराब स्कैन सहित, पूरे मामले की जानकारी थी,फिर भी उन्होंने अवैध और अनधिकृत संचालन को रोकने के लिए कुछ नहीं किया। बल्कि उन्होंने उस  नीति परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई  जिसके परिणामस्वरूप छत्तीसगढ़ राज्य में FL-10A लाइसेंस की शुरुआत हुई। वह विभाग के इन कार्यों में अभिन्न अंग थे. 
कावासी लखमा पर यह भी आरोप है कि उन्होंने सिंडिकेट और उनके निर्देशानुसार प्रक्रियाओं और प्रक्रियाओं को संचालित करके सिंडिकेट को सक्रिय रूप से सहायता प्रदान की। जाँच पड़ताल जांच से पता चला है कि कवासी लखमा को अपराध की आय से प्रति माह कम से कम 2 करोड़ रुपये मिलते थे और यह राशि (POC) शराब घोटाले से पैदा हो रही थी.

Directorate of Enforcement (ED), Raipur Zonal Office has arrested Kawasi Lakhma (MLA) on 15.01.2025 under the 
provisions of Prevention of Money Laundering Act (PMLA), 2002 in Liquor scam case of Chhattisgarh. He was produced 
before the Hon’ble Special Court (PMLA), Raipur and the Hon’ble Court has granted ED custody of Kawasi Lakhma for 6
days i.e. till 21.01.2025. Kawasi Lakhma was the Excise Minister in the state of Chhattisgarh during the material period of 
liquor scam.
ED initiated investigation on the basis of FIR registered by ACB/EOW Chhattisgarh under various sections of IPC, 
1860 and Prevention of Corruption Act, 1988 in the said Liquor scam in the State of Chhattisgarh. 
ED investigation revealed that Kawasi Lakhma was aware of the complete affairs of the Excise Department
including liquor scan, yet he did nothing to stop the illegal and unauthorized operations. He played an important role in 
policy change which led to introduction of FL-10A license in the state of Chhattisgarh. He was an integral part of the 
syndicate and actively assisted the syndicate by maneuvering process and procedures as per their direction. Investigation
conducted has revealed that Kawasi Lakhma was receiving not less than Rs 2 Crore per month out of Proceeds of Crime 
(POC) being generated out of the liquor scam. 

ईडी द्वारा की गई जांच से जुड़े साक्ष्य जुटाने में सफलता मिली है 
कवासी लखमा द्वारा प्राप्त पीओसी का उपयोग अचल संपत्तियों के निर्माण में किया गया। ईडी की जांच में पता चला है कि शराब घोटाला (जो 2019 से 2022 के बीच हुआ) में कितना भ्रष्टाचार हुआ था. यह भ्रष्टाचार करने के लिए कई तरीकेअपनाए गए थे.
Investigation conducted by ED has been able to collect evidence linking the use of POC obtained by Kawasi Lakhma in construction of immovable properties. 
ED investigation has revealed that the corruption in liquor scam (which took place between 2019 to 2022) was resorted to in multiple ways:
PART-A Commission: Bribe was collected from the “various distillers” on the basis of “each Case of liquor 
procured from them by the CSMCL (State body for purchase and sale of liquor)”. 
PART-B Kacha liquor sale: Sale of unaccounted kacha off-the-books Country Liquor. In this case, not even a single rupee reached the State Exchequer, and all the sale proceeds were pocketed by the Syndicate. The illegal liquor 
was sold from State-run shops only. 
PART-C commission: Bribes taken from distillers to allow them to make a cartel and have fixed market share. 
Commission from FL-10A License Holders who were introduced to earn in foreign liquor segment also. 
ED investigation has revealed that Chhattisgarh Liquor scam resulted in massive loss to the State Exchequer and 
filled the pockets of the beneficiaries of the Liquor Syndicate with more than Rs 2100 Crore of illegal POC. 
Earlier, Anil Tuteja, Ex-IAS officer, Arvind Singh, Trilok Singh Dhillon, Anwar Dhebar and Arun Pati Tripathi were 
also arrested by ED in the matter. 
Further investigation is under progress.