Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Pages

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

ब्रेकिंग :

latest

Breaking News

Automatic Slideshow


समावेशी शिक्षा के माध्यम से जनजातीय बच्चों का विकास विषय पर कार्यशाला में शामिल हुए जेडी हेमंत उपाध्याय

  जशपुर. डाईट जशपुर में एनईपी 2020 के तहत समावेशी शिक्षा के माध्यम से जनजातीय बच्चों का विकास विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया.इस अवसर प...

Also Read

 जशपुर. डाईट जशपुर में एनईपी 2020 के तहत समावेशी शिक्षा के माध्यम से जनजातीय बच्चों का विकास विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया.इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में संभागीय संयुक्त संचालक शिक्षा हेमंत उपाध्याय, शिक्षाविद डॉ रितेश मिश्रा सीव्ही रमन यूनिवर्सिटी बिलासपुर, शिक्षाविद डॉ विजय रक्षित पूर्व प्राचार्य, संस्थान के एकेडमिक सदस्य, शिक्षक- शिक्षिकाऐं, संस्थान के डीएलएड द्वितीय वर्ष के छात्र अध्यापक भी उपस्थित रहे.



इस अवसर पर संभागीय संयुक्त संचालक शिक्षा हेमंत उपाध्याय ने कहा कि शिक्षक की भूमिका वर्तमान परिस्थिति में कैसी होनी चाहिए. शिक्षक को बच्चों को भविष्य के लिए किस प्रकार प्रेरित करके उनको नई दिशा देना है और उनका भविष्य संवारना है. उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति और साइंटिस्ट डॉ अब्दुल कलाम का उदाहरण देकर शिक्षकों को प्रेरित किया. उन्होंने कहा कि किसी भी नीति नियम का पालन करने वाला शिक्षक नहीँ होता बच्चों का भविष्य निर्माण करने वाला ही शिक्षक होता है. शिक्षक के रूप आप अपने सम्पूर्णता को समाहित करें तभी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उद्देश्य को पूरा करने में सफलता मिलेगी और समाज को नई दिशा भी मिलेगी.
उन्होंने कहा कि शिक्षक विकल्पहीन है जिन्हें बच्चों कि कमजोरियों को चिन्हित उसका विकास करना है, शिक्षक को इस बात को सिद्ध करना है. क्योंकि समाज आगे बढेगा तो सिर्फ शिक्षक की वजह से ही आगे बढेगा. इसके लिए शिक्षक नवाचार को प्राथमिकता दें. इस अवसर पर डॉ विजय रक्षित ने कहा कि एक समय में नालंदा देश का प्रसिद्ध विश्वविद्यालय था जहाँ विदेशी छात्र पढ़ने आते थे. उन्होंने बताया कि ब्रिटिश काल से आजाद भारत तक शिक्षा के विकास में कैसे कैसे प्रगति की क्या क्या नीति अपनाई गई के बारे में विस्तार से बताया. स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् भी शिक्षा नीति बना कर शिक्षा के विकास पर काम किया गया है. उसके बाद लम्बे अंतराल के बाद 2920 में शिक्षा नीति बनाई गई जिसके अन्तर्गत काम किया जाना है. NEP 2020 में समावेशी शिक्षा का प्रावधान किया गया है जिसमे स्थानीय भाषा को महत्व दिया गया है यह शिक्षा के विकास और देश की शिक्षा व्यवस्था को ऊंचाई तक ले जाने में कारगर सिद्ध होगा

इस अवसर पर डाईट प्राचार्य डॉ एम जेडयू सिद्दीकी ने कहा कि ट्राइबल एजुकेशन में शिक्षा से कैसे सशक्त बना सकते है वंचित समूह को समवेशी शिक्षा के माध्यम से कैसे जोड़ा जाय इस पर कार्य किया जाना है. एनई पी के माध्यम से छात्रों पर ध्यान केंद्रित करना है. Sc sT समूह को शैक्षणिक सामाजिक सांस्कृतिक और आर्थिक विकास करना मूल लक्ष्य है. शिक्षा की आर्थिक सामजिक असमानता को दूर करता है. NEP 2020 कहता है वंचित समूह को शिक्षा प्रदान करता है. जशपुर डाइट NEP 2020 के तहत सादरी और कुडूख भाषा में पाठ्य पुस्तक निर्माण का काम कर रहा है. इस माध्यम से जनजातिय समूह को शिक्षा प्रदान करने में सफल रहेंगे. जिससे वे आसानी से शिक्षा से जुड़ सकेंगे

सहायक प्राध्यापक यू के तिर्की ने कहा कि समाज मे असमानता दूर करने के लिए शिक्षा आवश्यक है. हर व्यक्ति का शिक्षा की बुनियादी सुविधा मिले यह जरुरी है वंचित समूह को मुख्यधारा में लाकर उन्हें उन्ही के संस्कार अनुरूप शिक्षा देकर शिक्षित करना है.

शारीरिक रूप से अक्षम विशेष आवश्यकता वाले बच्चों का ध्यान मे रखकर नीति बनानी होगी.

संस्थान की उप प्राचार्य एस एस भोय ने कहा कि एन ई पी 2020 के तहत जशपुर में कुडूख और सादड़ी स्थानीय भाषा में कार्य मिला है जो लगभग पूरा हो गया है. उन्होंने कहा कि समता मूलक समवेशी शिक्षा के माध्यम से समाज में फैली असमानता को दूर किया जाना है. शिक्षण में भेद भाव पर चिंतन करना है. कार्यशाला में व्यख्याता वाकरूजमा खान भी अपने विचार प्रस्तुत किए

इस अवसर पर कार्यशाला में डॉ मिथिलेश पाठक, संजय दास, शरीन राज, एस. एस दाहिरे, मुकेश कुमार भी उपस्थित थे.