दुर्ग,रायपुर. असल बात न्यूज़. ट्रेनों में यात्रियों की सुरक्षा की व्यवस्था कैसी होती है ?आपराधिक तत्व इसमें कैसे,कितनी आसानी से यात्रा कर ...
दुर्ग,रायपुर.
असल बात न्यूज़.
ट्रेनों में यात्रियों की सुरक्षा की व्यवस्था कैसी होती है ?आपराधिक तत्व इसमें कैसे,कितनी आसानी से यात्रा कर सकते हैं ? मुंबई से कोई अपराधी ट्रेन में यात्रा करते हुए दुर्ग तक पहुंच जाए तो क्या इस बीच उसके टिकट की कहीं भी जांच नहीं होती है ? सैफ अली खान पर हमला करने वाला एक आरोपी यहां दुर्ग में पकड़ा गया है तो उसके बाद ऐसे कई सारे सवाल लोगों के दिमाग में उठ रहे हैं. इस प्रकार का एक आरोपी मुंबई से ट्रेन यात्रा करते हुए दुर्ग तक पहुंच गया लेकिन उसके टिकट की कहीं भी जांच नहीं हुई, इतनी लंबी यात्रा कर लेने के बाद भी कहीं उससे नहीं पूछा गया है कि उसके पास टिकट है भी की नहीं. ऐसे ही घटनाओं के चलते इसकी आशंका बार-बार बनी रही है कि ट्रेन के माध्यम से ही ड्रग्स का भी बड़े पैमाने पर परिवहन हो रहा है. आप ट्रेन से यात्रा करते होंगे तो देखे ही होंगे कि इसमें, यात्रियों से,पैसे वसूलने वालों का एक दल हर जगह तैनात रहता है.ऐसे ही कितने असामाजिक तत्व,ट्रेन से यात्रा करते होंगे,इसका अनुमान लगाया जा सकता है.जब हम बुलेट ट्रेन,चलाने की बात करते हैं,तो निश्चित रूप से इन अव्यवस्थाओं को उसके पहले व्यवस्थित किया जाना चाहिए.इसे व्यवस्थित करने की जरूरत है.
सैफ अली पर प्राणघातक हमला करने का एक संदिग्ध सुपर फास्ट ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस में यात्रा कर रहा था और वह इस ट्रेन के जनरल डिब्बे में यात्रा करते हुए मुंबई से दुर्ग पहुंच गया था. आरोपी के पास यात्रा करने की कोई टिकट भी नहीं थी.मुंबई के जुहू पुलिस थाने से, आरपीएफ पोस्ट दुर्ग को, प्रकरण के आरोपी आकाश कैलाश कनौजिया के ट्रेन में यात्रा करने की सूचना मिली थी. जब ट्रेन गोंदिया और राजनांदगांव स्टेशन के बीच थी तभी आरपीएफ पोस्ट दुर्ग को इसकी सूचना मिल गई थी. जुहू पुलिस के द्वारा आरोपी की फोटो और मोबाइल टावर लोकेशन की भी सूचना दी गई थी.
ट्रेन के दुर्ग पहुंचने पर चेकिंग के दौरान आरपीएफ के इंस्पेक्टर एसके सिंह आरक्षक श्रीराम मीणा और महिला आरक्षक निर्मला को संदिग्ध जनरल डिब्बे में मिल गया. संदिग्ध की फोटो मुंबई भेजी गई जहां उसके वहीं आरोपी होने की पुष्टि हो गई. मुंबई पुलिस यहां पहुंच गई है और आरोपी को अपने साथ ले आएगी.
अब सवाल यह उठता है कि मुंबई पुलिस स्टेशन से सूचना नहीं मिली होती तो ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस जैसी सुपरफास्ट ट्रेन में भी क्या कोई जांच होती ?और कोई जांच नहीं होती तो इसे समझा जा सकता है कि इसमें यात्रा करते हुए कितने अपराधी कहां से कहां पहुंच जाते, जिसकी किसी को कोई भनक तक नहीं लगती. ट्रेनों में अपराधिक गतिविधियों को रोकने के लिए अभी भी कई कदम उठाए जाने जरूरी है.