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स्वरूपानंद महाविद्यालय वनस्पत्ति विभाग द्वारा शैक्षिक यात्रा: कच्ची घानी तेल निकासी केंद्र में विद्यार्थियों ने समझा जीरो वेस्ट अवधारणा

  भिलाई. असल बात news.  स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय वनस्पत्ति विभाग के छात्रों ने कच्ची घानी तेल निकासी केन्द्र का शैक्षिक भ्...

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भिलाई.

असल बात news. 

स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय वनस्पत्ति विभाग के छात्रों ने कच्ची घानी तेल निकासी केन्द्र का शैक्षिक भ्रमण किया। कार्यक्रम का उद्देश्य बताते हुये डॉ. नीना बागची विभागाध्यक्ष वनस्पत्तिशास्त्र ने बताया कच्ची घानी तेल निकासी प्रक्रिया स्वास्थ्यवर्धक होती है, बल्कि यह जीरो वेस्ट अवधारणा को भी बढ़ावा देती है। हमारी शैक्षिक यात्रा का उद्देश्य प्राकृतिक तेलों और उनके निर्माण की प्रक्रिया को समझना और इसके पर्यावरणीय लाभों को जानना है।

महाविद्यालय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. दीपक शर्मा ने कहा रिफाईन तेल के उपयोग से ह्दय व कोलस्ट्रॉल औषधी अनेक समस्याएं उत्पन्न हो रही है। अगर हम कच्चीघानी के तेल का प्रयोग करें तो हमारी आधी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का निराकरण हो सकता है। प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला ने वनस्पत्ति विभाग की सराहना की व कहा आजकल बाजार में जो रिफाईंन तेल उपलब्ध हैं उसमें बहुत अधिक कैमिकल का प्रयोग किया जाता है। जो स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण को भी क्षति पहुँचाता है। पुराने समय में लोग कच्ची घानी से तेल निकाल कर ही उपयोग करते थे उनके अवशेष खल्ली आदि को खाद व पशु आहार के रूप में प्रयोग किया जाता था। विद्यार्थी ऐसे शैक्षिक भ्रमण से प्राचीन वैज्ञानिक पद्धतियों से परिचित होकर उसके महत्व को समझते है। 

“कच्ची घानी” अनुष्का टेªडर्स के प्रबंधक श्री प्रकाश देवतले ने बताया यह प्रक्रिया तेल की कच्ची सामग्री को बिना गर्म किये की जाती है, जिससे तेल के पोषक तत्व बरकरार रहते है। केन्द्र में उत्पादित तेल के बाद बचे हुए उत्पादों का उपयोग खाद, पशु आहार और जैविक उत्पादों में किया जाता है जो पर्यावरण के लिए लाभकारी है। इस केन्द्र में सरसों, फल्ली, तिल, अलसी, नारियल तेल को बिना मिलावट के शुद्ध निकाला जाता है उन्होंने बताया परंपरागत तरीके से निकाले गये तेल पोषक तत्व से भरपूर होते है जैसे अलसी तेल में ओमेगा- तीन, छः, नौ, फैटी एसिड के कारण कई बीमारियों को रोकने में कारगर होता है। कच्ची घानी का फल्ली तेल ह्दय रोग, उच्च रक्तचाप, डायबिटिज, त्वचा संबंधित रोग में फायदा करता है। खराब बैक्टीरिया को रोकता है। तिल्ली तेल में ओमेगा-तीन-ओमेगा-छः फैटी ऐसिड होते है। जो एलडीएल स्तर को कम करता है एवं एचडीएल का बढ़ाता हैं। इसमें विटामिन डी होने से हड्डियाँ मजबूत होती है। नारियल तेल, त्वचा, बाल एवं दांतो की रक्षा करता है। अल्जाइमर में लाभकारी होता है।

छात्रों ने तेल निकासी की पूरी प्रक्रिया को देखा एवं सीखा कि कैसे कच्ची घानी तेल की प्रक्रिया न केवल स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित है। जीरो वेस्ट अवधारणा का पालन करके हम एक स्वस्थ एवं सतत जीवन शैली की ओर अग्रसर हो सकते है। कार्यक्रम में वनस्पत्ति विभाग के समस्त विद्यार्थी शामिल हुये।