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कांग्रेस के कुशासन के कारण 78 नगरीय निकाय अनुदान के लिए अपात्र हुए:भूपेंद्र सव्वनी

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कांग्रेस खुद कुछ देती नहीं, जो केंद्र से मिलता है उसे भी अपनी कारगुज़ारियों से रुकवा देती है:भूपेंद्र सव्वनी




रायपुर, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष और नगरीय निकाय चुनाव प्रदेश प्रभारी भूपेंद्र  सवन्नी ने 78 नगरीय निकायों के अपात्र होने को कांग्रेस की अक्षमता का एक और बड़ा नमूना बताया है। श्री सवन्नी ने कहा कि कांग्रेस की कारगुजारियों के कारण प्रदेश के  रायपुर, दुर्ग सहित 78 नगरीय निकाय अनुदान के लिए अपात्र घोषित हो गए हैं। ऐसा निकम्मापन और भ्रष्टाचार कांग्रेस की पहचान बन गयी है।श्री सवन्नी ने कहा कि सवा साल पहले तक प्रदेश और महीने भर पहले तक निकायों में सत्ता सम्हालने वाली कांग्रेस के जनप्रतिनिधियों को निकायों के विकास से कोई लेना देना नहीं था। पिछले निकाय चुनाव में संविधान की हत्या करते हुए कानूनों को तोड़ मरोड़ कर सभी निगमों में बेजा कब्जा कर लिया और फिर उसे दिवालिया जैसी स्थिति में पहुंचा दिया। कांग्रेस कभी भी विकास को लेकर जरा भी संजीदा नहीं होती, उसे बस लूट मचाना होता है।

भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष सवन्नी ने कहा कि 15वें वित्त आयोग के तहत अनुदान प्राप्त करने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन निकायों को करना अनिवार्य है। इसमें यह भी स्पष्ट किया गया है कि जो निकाय शर्तों का पालन करेंगे, वही अनुदान के लिए पात्र होंगे और बाकी निकाय अपात्र माने जाएंगे। अनुदान के लिए तय शर्तों की पूरी तरह अनदेखी करते हुए निकायों पर काबिज कांग्रेस के जनप्रतिनिधियों ने निगमों को रसातल में पहुंचा दिया। उन्होंने कहा कि ऐसी कांग्रेस को पूरे प्रदेश के निकायों से जनता को दूर रखना चाहिए। 

भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष सवन्नी ने कहा कि नगरीय निकायों को भ्रष्टाचार और लूट-खसोट का अड्डा बनाकर रख देने वाले कांग्रेस के जनप्रतिनिधियों की इस गंभीर लापरवाही से यह साबित होता है कि कांग्रेसियों को जन-धन की लूट और उस लूट में अपनी-अपनी हिस्सेदारी की ही फिक्र रही और जनता की मूलभूत सुविधाओं व नगरीय क्षेत्र के विकास से उनका रत्तीभर सरोकार पूरे कार्यकाल में नहीं रहा। श्री सवन्नी ने कांग्रेस के इस जन-विरोधी व भ्रष्ट राजनीतिक आचरण की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा कि कांग्रेस के लोग विकास और जन-सुविधा मुहैया कराने की अपनी जिम्मेदारी से तो मुँह चुराते ही रहे हैं, अब केंद्र व प्रदेश सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जा रही सहायता के बावजूद विकास और मूलभूत सुविधाओं से भी जनता को कैसे वंचित रखा जाता है, यह नगरीय निकायों की अपात्रता सूची से आईने की तरह साफ हो रहा है।