पाटन में अब बिना दारू बंटे.. होगा चुनाव...? असल बात news. विशेष टिप्पणी. 0 अशोक त्रिपाठी दुर्ग जिले के पाटन विकासखंड में भ...
पाटन में अब बिना दारू बंटे.. होगा चुनाव...?
असल बात news.
विशेष टिप्पणी.
0 अशोक त्रिपाठी
दुर्ग जिले के पाटन विकासखंड में भारी मात्रा में अवैध दारू पकड़ी गई है.अभी यह चुनावी सीजन है.राजनीतिक वातावरण चारों तरफ सरगर्म है. ऐसे में यह बड़ी घटना सामने आई है इसके बाद से स्वाभाविक रूप से यहां राजनीतिक सरगर्मी और बढ़ जा रही है. यह क्षेत्र पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का गृह क्षेत्र है और दुर्ग लोकसभा क्षेत्र के सांसद विजय बघेल का भी यह गृह क्षेत्र है ऐसे में आसानी से अनुमान लगाया जा सकता है कि यहां राजनीतिक सरगर्मी कितनी बढ़ी हुई,और आक्रामक रहती है.अभी यहां पंचायत चुनाव चल रहा हैं.चुनाव में मतदाताओं को अपने पक्ष में आकर्षित करने अभ्यर्थियों ने जी जान लगना शुरू कर दिया है.हर गांव चुनावी बैनर पोस्टरों से पट गए हैं.आम ग्रामीणों में नशे की लत लगने की शिकायतें तो काफी पहले से हैं और इसकी निराकरण के दिशा में प्रयास भी हुए हैं. ऐसे में इससे इंकार नहीं किया जा सकता कि इन चुनावों में दारू बांटकर भी मतदाताओं को प्रभावित करने की बड़े पैमाने पर कोशिश हो सकती है. और हम आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ पिछले कुछ वर्षों से दारू के मुद्दे को लेकर देश भर में चर्चाओ में है तो पाटन क्षेत्र भी दारू के मामलों के और लेकर लंबे समय तक चर्चाओ में बना रहा है. यहां कुछ साल पहले एक शासकीय दारू दुकान को लूट लेने के आरोप में भाजपा के लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी, उसमें गिरफ्तारियां भी की गई थी और बहुत सारे कार्यकर्ताओं को 3 महीने तक भी जेल में रहना पड़ा था. हालांकि बाद में सभी को न्यायालय ने बरी कर दिया. इस तरह की घटना को चलते पाटन लगातार सुर्खियों में बना रहा है.और अब इतने बड़े पैमाने पर दारू पकड़ी गई है, तो यह विधानसभा क्षेत्र पाटन फिर से सुर्खियों में आ गया है.इस अवैध दारू को डंप करने के मामले में कांग्रेस के नेताओं का नाम आ रहा है. तो जाहिर है कि इस पूरे प्रकरण में राजनीतिक आरोप प्रत्यारोपों का दौर भी शुरू होने वाला है. सांसद विजय बघेल ने आरोप लगा दिया है कि शराब घोटाले की जो दारू थी उसे यहां डंप किया जा रहा था. फिलहाल कांग्रेस अभी यहां बैकफूट आ गई है. अभी उसे स्थानीय चुनाव में कड़ी टक्कर देने के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है. अब ताजा घटनाक्रमों के बीच उसके सामने चुनौतियां निश्चित रूप से बढ़ती जाएगी.
स्थानीय पुलिस ने जिस तरह से जानकारी दी है उसके अनुसार इतने बड़े पैमाने पर यह अवैध दारू मऊ इंदौर से लाई गई है. अब आप देख लीजिए कि हमारा व्यवस्था तंत्र,प्रशासनिक तंत्र किस तरह से काम करता है कि लगभग सात सौ किलोमीटर दूर से मध्य प्रदेश से इतने बड़े पैमाने पर अवैध दारू एक वाहन में भरकर छत्तीसगढ़ सुरक्षित ला ली जाती है. जहां उसे डंप किया जाना था दुर्ग जिले के पाटन तक पहुंचा दी जाती है. यह अवैध दारू एक बड़े वाहन में दो राज्यों से गुजरते हुए यहां पहुंचती है. लेकिन, ताज परिस्थितियों में यह सवाल जरूर उठ सकता है कि कहां किस तरह की चेकिंग की जाती है? कहां इसे रोकने वाला कौन होता है..? कि यह इतनी दूरी तय करके अपने अंतिम पड़ाव तक पहुंच जाती है. उसे कहीं पकडा नहीं जा पाता. यह वास्तविकता है कि उसे रास्ते में कहीं रोका नहीं गया,टोका नहीं गया, शायद, कहीं पकड़ने की कोशिश नहीं गई गई और यह तो तय है कि उसे,कहीं पकडा नहीं गया. और इतनी बड़ी मात्रा में अवैध दारू यहां पहुंच गई. ऐसे में हमारे व्यवस्था तंत्र पर भी सवाल उठते हैं. राज्य निर्वाचन आयोग अभी लोकसभा और विधानसभा चुनाव की तरह इसके निमित्त रूप से आंकड़े जारी नहीं कर रहा है कि स्थानीय निकाय चुनाव के दौरान कब कहां कितनी अवैध दारू पकड़ी गई है, कितनी दूसरी अवांछित सामग्रियां पकड़ी गई हैं? कितना पैसा परिवहन करते पकड़ा गया है. लेकिन हमारे पास जो जानकारी है उसके अनुसार अभी एक दिन पहले बेमेतरा में भी भारी मात्रा में अवैध दारू पकड़ी गई है. रायपुर में लगातार अवैध दारू पकड़े जाने की खबरें आ रही हैं. ऐसे मैं यह सवाल भी बार-बार उठा रहा है कि छत्तीसगढ़ में तो शासकीय दुकानों में ही शराब बिकती है तो फिर यह अवैध रूप से कहां-कहां से लाई जा रही हैं. हम इनके सरगनाओ तक कभी क्यों नहीं पहुंच पाते. आप देखेंगे कि जब भी कोई चुनाव शुरू होता है तो अवैध दारू के परिवहन और उसे डंप करने के प्रकरण बार-बार सामने आने लगते हैं. छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले मामले में आपको यह भी याद होगा कि उसमें यह आरोप लगा है कि एक ही होलोग्राम के नंबर को लाखों बोतलों में चश्मा कर उसे बाजार में पहुंचा दिया गया और बेच दिया गया. उसमें 2000 करोड़ से अधिक का घोटाला होने का आरोप लगा है और उस प्रकरण में तत्कालीन विभागीय मंत्री के साथ कई लोगों की गिरफ्तारियां हो चुकी हैं. इस घोटाले में छत्तीसगढ़ के ही एक डिस्टलरी की भागीदारी की भूमिका सामने आई है.
पिछले वर्षों में दारू से संबंधित इतने सारे मामले, घोटाले रहे हैं कि छत्तीसगढ़ दारू की वजह से काफी चर्चित रहा है. अभी जो दारू पकड़ी गई है उसकी कीमत लगभग 32 लख रुपए बताई जा रही है. यह तो समझा जा सकता है की अवैध दारू है तो उसमें कोई भी होलोग्राम नहीं लगा हुआ होगा. ऐसी अवैध दारू के कई बार जहरीले होने के मामले भी सामने आए हैं जिसके सेवन के बाद कई लोगों को जाने जा चुकी हैं. आशंका जाहिर की जा रही है कि अवैध दारू की ऐसी कई गाड़ियां चल रही हैं जिसने कई-कई जगह इस तरह से भारी मात्रा में दारू डंप किया है. पुलिस को मुखबिर के माध्यम से इस प्रकरण की जानकारी मिल गई और इस प्रकरण का खुलासा हो गया. लेकिन इससे इनकार नहीं किया सकता कि ऐसे कई सारे मामले होंगे जिनका खुलासा नहीं हो पा रहा है,जिनकी जानकारियां नहीं मिल पा रही हैं लेकिन अवैध दारू जगह-जगह लुके छुपे डंप कर दी जा रही है.
पाटन में जो अवैध दारू पकड़ी गई है उसका वाहन चलाने वाले ड्राइवर को पकड़ लिया गया है. आप ड्राइवर का भी दुससाहस देख और समझ सकते हैं कि उसे निश्चित रूप से मालूम रहा था कि वह इतने बड़े पैमाने पर अवैध दारू का परिवहन कर रहा है लेकिन किसी तरह के डर दबाव के बिना उसने दारू को इतनी दूर तक पहुंचा दिया. हो सकता है कि वह यह काम करने वाला आदतन होगा. स्थानीय पुलिस फिलहाल उन लोगों तक भी पहुंच गई है जो लोग इतने बड़े पैमाने पर यह अवैध दारू डंप करने वाले थे. इन आरोपियों का कांग्रेस से संबंध होने की जानकारी सामने आ रही है. एक महत्वपूर्ण बात है कि इन लोगों के लोकल हैंडलर्स तो जरूर होंगे. किसी न किसी ने इस दारू का पेमेंट किया होगा. यह अवैध दारू भी बिना पेमेंट के यहां नहीं लाई गई होगी. कोई ना कोई इसे लाने का रास्ता बताने वाला भी रहा होगा. स्थानीय संपर्क सूत्र के बिना इतनी बड़ी डील नहीं हो सकती.
यह भी हो सकता है कि इस प्रकरण को राज्य निर्वाचन आयोग भी संज्ञान में ले. इसे मतदाताओं को गलत तरह से प्रभावित करने की कोशिश का भी मामले के तहत भी संज्ञान में लिया सकता है. अभी चुनाव का समय है.स्थानीय स्तर का चुनाव हो रहा है. ऐसे में इतने बड़े पैमाने पर अवैध दारू डम्प किए जाने को कोई इस रूप में नहीं लेगा कि इतनी दारु पीने के लाई गई थी अथवा इसे बेचने के लिए लाया गया था. यह तो सबको साफ-साफ समझ में आता है की यह दारू जनप्रयोग के लिए लाया गया था. जिसका साफ मतलब है कि इस अवैध दारू का चुनाव के दौरान ही उपयोग किया जाने वाला था. आम मतदाताओं में इसे वितरित किया जाने वाला था. अब ऐसी आशंकाओं से इनकार किया जा सकना बहुत कठिन है.
इसे कितनी गंभीरता से लिया जाता है यह नहीं कहा जा सकता लेकिन यह वास्तविकता है कि स्थानीय निकाय का चुनाव भी लोकतंत्र का बड़ा पर्व है. लोकतंत्र के ऐसे उत्सव में भी मतदाताओं को गलत तरीके से प्रभावित करने की कोशिशें को रोका जाना चाहिए. दिक्कत यह है कि दो राज्यों से होते हुए अवैध दारू से भरा वाहन इतनी दूर पहुंच जाता है लेकिन उसे कहीं पकडा नहीं जा पाता. इससे हमारी व्यवस्था तंत्र की कमजोरी भी उजागर होती हैं. इन चीजों का उपयोग मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए किया जाने वाला था तो फिर हमारा चुनाव निष्पक्ष कैसे रह जाएगा. हमारा लोकतंत्र मजबूत कैसे होगा. यह सवाल हमें चिंतित कर सकता है.