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तर्रा में,सरपंच के चुनाव में "नशा से मुक्ति" भी बन रहा है बड़ा चुनावी मुद्दा

पाटन,दुर्ग . असल बात न्यूज़.   शहरी ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी युवा वर्ग,बुरी तरह से  नशे-ड्रग्स की चपेट में  आते जा रहा है.नशे की चपे...

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पाटन,दुर्ग .

असल बात न्यूज़.  

शहरी ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी युवा वर्ग,बुरी तरह से नशे-ड्रग्स की चपेट में आते जा रहा है.नशे की चपेट में आ जाने वाले युवाओं की तो पूरी जिंदगी बर्बाद हो जा रही है,उनके परिवार के लोगों को भी ढेर सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.ग्रामीण इलाकों में यह समस्या अब इतनी गहराती जा रही है कि यह विषय अब चुनावी मुद्दा बनने लगा है और नशे से मुक्ति दिलाने का वादा कर मतदाताओं को अपने पक्ष में आकर्षित करने की कोशिश की जा रही है.गांव -गांव में अभी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव हो रहा है. इसमें सरपंच पद के लिए चुनाव मैदान में उतरे चंद्रप्रकाश चंद्राकर ने इस मुद्दे को उठाया है.उनका कहना है कि नशे का सेवन,देश के भविष्य को लील ले जा रहा है.उन्हें मौका मिला तो वे नशीली चीजों की सप्लाई केखिलाफ जमकर संघर्ष करेंगे.

चंद्र प्रकाश चंद्राकर भी युवा है और वे पाटन विकासखंड के ग्राम पंचायत तर्रा से सरपंच पद का चुनाव लड़ रहे हैं. यहां इस पद के लिए कुल चार प्रत्याशी चुनाव मैदान में है. इसमें प्रकाश चंद्राकर के साथ चंद्राकर शीतल, जोंटी राजेंद्र सोनी और कुमार विपिन चंद्राकर चुनाव मैदान में सरपंच पद पर अपना भाग्य आजमा रहे हैं. देखा जाए तो यह पाटन विकासखंड का एक बड़ा गांव है जहां कुल मतदाताओं की संख्या लगभग 1827 है,इसमें पुरुष मतदाताओं (875) के मुकाबले में महिला मतदाताओं(952) की संख्या अधिक है. इस तरह से यहां चुनाव परिणाम का निर्णय बहुत कुछ महिला मतदाताओं के वोट से होने वाला है. विडंबना है कि यह पूरा गांव अब नशे की चपेट में है. खासतौर पर युवा ड्रग्स के सेवन के आदी होने लगे हैं.यह खतरनाक हालात,इस गांव के लोगों में चिंता पैदा कर रहा है.

प्रकाश चंद्राकर कहते हैं कि नशे का सामान कहां से आ रहा है,इसकी आपूर्ति कौन करता है ?यह अलग बात है.गांव के बड़ी संख्या में युवा, गांजा गोली,टेबलेट,सॉल्यूशन जैसी चीजों से नशा करने लगे हैं जोकि चिंता की बात है.युवाओं का भविष्य खराब हो रहा है.चुनाव प्रचार में वे इस मुद्दे को उठा रहे हैं. जो बच्चे नशे के आदि हो गए हैं नशा मुक्ति केंद्र खोलकर उनका पुनर्वास किया जा सकता है.

उन्होंने कहा कि गांव में और भी कई सारी समस्याएं हैं,विकास कुछ अधूरा सा है जिसे पूरा करना है. गांव में पर्याप्त प्रबंध के बिना भूजल स्तर गिरता जा रहा है.अब बोर में 300 फिट की गहराई होने पर ही पानी आता है. वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की कमी है. अपराधिक तत्वों की संख्या भी बढ़ी है. प्रमुख सार्वजनिक स्थलों तथा धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरा लगाया जाना भी जरूरी है. युवाओं को रोजगार के अधिक से अधिक अवसर उपलब्ध कराने प्रयास करने होंगे.इसके लिए व्यावसायिक परिसर का निर्माण कर रोजगार उपलब्ध कराने की पहल की जा सकती है. उन्होंने कहा कि भारत देश के गांव की पहचान दूध से होती है. हम यहां के दूध उत्पादकों को अधिक से अधिक फायदा हो सके, इस दिशा में भी काम करने की तैयारी कर रहे हैं. इसके लिए गांव के दूध को शासकीय मूल्य पर बाहर भिजवाना पड़ेगा तब स्थानीय दूग्ध उत्पादकों को फायदा मिल सकता है. गांव के तालाबों की हालत भी खराब हो गई है इनकी साफ-सफाई, पानी भरने तथा सुंदरीकरण की भी जरूरत है.

प्रकाश चंद्राकर इस गांव में लगभग 20 साल पहले उप सरपंच रह चुके हैं. उन्होंने बताया कि इस दौरान उन्होंने गांव में सबसे अधिक विकास का काम कराया था. उसके बाद से यहां विकास की गति धीमी रही है. अभी उन्हें भाजपा के कार्यकर्ताओं समर्थकों का पूरा सहयोग मिल रहा है. वे कहते हैं कि अभी छत्तीसगढ़ में डबल इंजन की सरकार है. ट्रिपल इंजन की सरकार बन जाएगी तो रेल के डिब्बो में भर-भर कर विकास यहां पहुंचेगा.