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स्वरूपानंद महाविद्यालय में मातृभाषा दिवस के अवसर पर विद्यार्थियों ने लिया मातृभाषा का संरक्षण व संर्वधन का संकल्प

  भिलाई. असल बात news.   स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय हुडको, भिलाई में हिंदी विभाग द्वारा “संस्कृति के संरक्षण में मातृभाषा की...

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भिलाई.

असल बात news.  

स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय हुडको, भिलाई में हिंदी विभाग द्वारा “संस्कृति के संरक्षण में मातृभाषा की भूमिका” विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुये कार्यक्रम प्रभारी डॉ. सुनीता वर्मा विभागाध्यक्ष हिन्दी ने बताया विश्व में भाषायी एवं सांस्कृतिक विविधता एवं मातृभाषा के संरक्षण व संवर्धन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मातृभाषा दिवस का आयोजन किया जाता है। हमारी संस्कृति और परंपरा को बचाये रखने के उद्देश्य से मातृभाषा के अस्तित्व को बनाये रखना आवश्यक है क्योंकि एक मातृभाषा के समाप्त होने का मतलब उसमे निहित सांस्कृतिक तत्वों साहित्य व परंपराओं का नष्ट होना है। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य मातृभाषा की गरिमा और उसकी भूमिका को समाज में पुनः स्थापित करना है। 

महाविद्यालय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. दीपक शर्मा ने मातृभाषा दिवस की बधाई देते हुये कार्यक्रम आयोजन के लिए हिंदी विभाग की सराहना की। प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला ने अपने उद्बोधन में कहा हमें अपनी मातृभाषा को जीवित रखना है उसको इतिहास नहीं बनने देना है। दिवस मनाने का उद्देश्य विद्यार्थियों को मातृभाषा के महत्व को समझाना है यह आपके सामान्य ज्ञान की बढ़ोतरी करेगा। अगर हम अपने प्रदेश से बाहर जाते है तो अपनी भाषा बोलने वालो से मिलकर खुशी होती है वैसे ही विदेश में अपनी भाषा बोलने व समझने वाले मिल जाय तो आत्मीयता की अनुभूति होती है। मातृभाषा दिवस हमें याद दिलाता है हम अपनी भाषा को संजोये और इसे आने वाली पीढ़ी के लिये सुरक्षित रखें। 

“संस्कृति के संरक्षण में मातृभाषा की भूमिका” विषय पर आयोजित परिचर्चा में विद्यार्थियों ने मातृभाषा के संरक्षण संवर्धन व उपयोगिता पर गहन चर्चा की व इस बात पर जोर दिया कि भाषा केवल संवाद का साधन नहीं बल्कि हमारी संस्कृति और पहचान का अहम हिस्सा है। दिव्यांश बीकॉम द्वितीय सेमेस्टर के छात्र ने कहा मातृभाषा के माध्यम से हम अपनी सांस्कृतिक धरोहर परंपराओं और भावनाओं को व्यक्त करते है। अनुकृति मेहता बीबीए चतुर्थ सेमेस्टर ने कहा हम जिस राष्ट्र में रह रहे है उसकी अस्मिता की पहचान वहां की मातृभाषायें होती है। यह हमारी सांस्कृतिक विविधता की रक्षा करते हुये हमंे विशिष्ट पहचान देती है। आदित्य बीकॉम द्वितीय सेमेस्टर ने कहा हिंदी प्रमुख भारतीय भाषा है यह देवनागरी लिपि में लिखी जाती है व विश्व में सबसे ज्यादा बोले जाने वाली दूसरी भाषा है। मुझे गर्व है कि यह मेरी मातृभाषा है। हिमांशी सिंह परिहार बीबीए द्वितीय सेमेस्टर ने कहा अगर हिंदी वृक्ष होती तो उसकी जड़े सबसे गहरी होती और हम अपनी मातृभाषा में बात करते तो हमारी सोच गहरी होती है व खुलकर हम अपने विचारों को व्यक्त कर पाते है। अविश गुप्ता बीबीए ने बताया जो जन्म से जिस भाषा को सीखते है वही मातृभाषा होती है भारत में एक सौ इक्कीस मुख्य भाषायें-बोलियों तथा 19500 अन्य बोलियां है। मातृभाषा से हमारा भावात्मक और सांस्कृतिक संबंध होता है इसे बदला नहीं जा सकता। श्वेता बीबीए तृतीय सेमेस्टर ने कहा मातृभाषा को हम जन्म से सीखते है। अपनी भावनाओं को व्यक्त करते है। इससे ही हम अपनी संस्कृति व परंपरा को सीखते है। यह हमारे सर्वांगीण विकास के लिये आवश्यक है। यह हमारे सीखने की प्रक्रिया को सरल बनाता है। 

कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ. शर्मिला सामल विभागाध्यक्ष वाणिज्य स.प्रा. संयुक्ता पाढ़ी विभागाध्यक्ष अंग्रेजी, स.प्रा. गणित मधुपटवा, स.प्रा. वाणिज्य विजय मिश्रा, ने विशेष योगदान दिया कार्यक्रम में मंच संचालन व धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सुनीता वर्मा विभागाध्यक्ष हिंदी ने दिया।