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08 मार्च को नेशनल लोक अदालत, दुर्ग जिले में कुल 15,हजार मामलों के निराकृत होने की संभावना

  दुर्ग. असल बात news. राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली एवं छ०ग० राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, बिलासपुर के निर्देशानुसार वर्ष 2025 की...

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दुर्ग.

असल बात news.

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली एवं छ०ग० राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, बिलासपुर के निर्देशानुसार वर्ष 2025 की प्रथम "नेशनल लोक अदालत जिला न्यायालय दुर्ग, परिवार न्यायालय दुर्ग, श्रम न्यायालय दुर्ग, स्थायी लोक अदालत (जनोपयोगी सेवाए) दुर्ग तथा किशोर न्याय बोर्ड, व तहसील व्यवहार न्यायालय पाटन, भिलाई-3 व धमधा में  08 मार्च 2025 को आयोजित की जावेगी।

उक्त तिथि को आयोजित नेशनल लोक अदालत की तैयारी अपने अंतिम चरण में है जिसके तहत आपसी राजीनामा योग्य आपराधिक मामलें, सिविल मामलें, मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण से संबंधित मामलें, परिवार न्यायालय में पारिवारिक विवाद के प्रकरण, श्रम न्यायालय के प्रकरण, स्थायी लोक अदालत में जनोपयोगी सेवा से संबंधित प्रकरण व राजस्व से संबंधित लगभग 17227 मामले एवं बैंक वित्तीय संस्था/विद्युत / दूरसंचार एवं नगर निगम के बकाया राशि के संबंध में संबंधित विभाग द्वारा न्यायालय में प्रकरण प्रस्तुत किये जाने के पूर्व "प्री-लिटिगेशन" प्रकरण के कुल 69219 से अधिक मामलें सुनवाई हेतु रखे गये है। वहीं संबंधित चिन्हांकित व रखे गये मामलों के नेशनल लोक अदालत की तिथि में अधिकाधिक संख्या में निराकरण किये जाने न्यायालय के पीठासीन अधिकारीगण द्वारा नियमित रूप से पक्षकारों के मध्य प्री-सीटिंग / बैठक का आयोजन अधिक संख्या में किये जा रहे है। जिससे 08 मार्च, 2025 को आयोजित नेशनल लोक अदालत में अधिकाधिक संख्या में प्रकरण निराकृत होने की संभावना है।

इस नेशनल लोक अदालत के लिए चिन्हांकित  मामलों की सुनवाई हेतु जिला न्यायालय दुर्ग परिवार न्यायालय दुर्ग व्यवहार न्यायालय तहसील पाटन, भिलाई-3 तथा धमधा एवं किशोर न्याय बोर्ड, जनोपयोगी सेवा से संबंधित स्थायीलोक अदालत (जनो.से.) तथा श्रम न्यायालय के कुल 35 खण्डपीठ का गठन माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश, दुर्ग के निर्देशानुसार गठित की गई है। संबंधित गठित खण्डपीठ में नेशनल लोक अदालत की तिथि में प्रकरणों की सुनवाई / निराकरण पक्षकारों के मध्य सौहाद्रपूर्ण वातावरण में आपसी सहमति / राजीनामा के आधार पर किये जायेंगे। नेशनल लोक अदालत में आपसी राजीनामा के आधार पर अपने मामलों के निराकरण हेतु पक्षकार अधिक से अधिक संख्या में संबंधित गठित खण्डपीठ / न्यायालय में उपस्थित रहें और लोक अदालत के माध्यम से अपने मामलों का निराकरण कर समय एवं अन्य कठिनाइयों से बचे क्योंकि नेशनल लोक अदालत में प्रकरण के सौहाद्रपूर्ण वातावरण में पक्षकारों के मध्य विवाद का निपटारा आपसी सहमति / राजीनामा से होने के कारण उक्त निराकृत मामलों की अपील भी नहीं होती है।