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भोरमदेव महोत्सव की तैयारियाँ जोरों पर, ऐतिहासिक धरोहर को सजाने में जुटा प्रशासन, दो दिवसीय भोरमदेव महोत्सव 26 और 27 मार्च को आयोजित होगा

कवर्धा,असल बात कवर्धा, । छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पुरातात्विक विरासत भोरमदेव महोत्सव की तैयारियाँ जोरों पर हैं। यह महोत्सव 26 और ...

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कवर्धा, । छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पुरातात्विक विरासत भोरमदेव महोत्सव की तैयारियाँ जोरों पर हैं। यह महोत्सव 26 और 27 मार्च को आयोजित किया जाएगा, जिसमें प्रदेश की समृद्ध संस्कृति, लोककला और परंपराओं का भव्य प्रदर्शन किया जाएगा। कलेक्टर श्री गोपाल वर्मा ने आज प्रशासनिक अधिकारियों के साथ भोरमदेव महोत्सव की तैयारियों का निरीक्षण किया। इस दौरान पुलिस अधीक्षक धर्मेंद्र छवाई, डीएफओ शशि कुमार, जिला पंचायत सीईओ अजय त्रिपाठी, अपर कलेक्टर डॉ. मोनिका कौडों सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद थे। भोरमदेव महोत्सव में मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय, विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह, उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा सहित अन्य गणमान्य जनप्रतिनिधि शामिल होंगे।

कलेक्टर श्री गोपाल वर्मा ने बताया कि भोरमदेव महोत्सव के शुभारंभ और समापन अवसर पर मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा और राजस्व मंत्री श्री टंकराम वर्मा सहित सांसदों और अन्य जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित किया जाना प्रस्तावित है। महोत्सव के दोनों दिनों में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा की उपस्थिति भी रहेगी। इस लिहाज से महोत्सव स्थल पर सुरक्षा एवं आवश्यक व्यवस्था की जा रही है।


भव्य मंच, आकर्षक लाइटिंग और उच्च स्तरीय साउंड व्यवस्था पर विशेष जोर


महोत्सव को भव्य बनाने के लिए विशेष मंच निर्माण, आकर्षक साज-सज्जा, रोशनी की उत्तम व्यवस्था और उच्च कोटि के साउंड सिस्टम पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। कलेक्टर श्री वर्मा ने सुरक्षा व्यवस्था, यातायात प्रबंधन और आगंतुकों के बैठने की उत्तम व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। महोत्सव के दौरान बॉलीवुड, लोक कलाकारों की विशेष प्रस्तुतियाँ, पारंपरिक नृत्य-संगीत, हस्तशिल्प प्रदर्शनी और स्थानीय व्यंजनों के स्टॉल मुख्य आकर्षण होंगे।


भोरमदेव महोत्सव,  आस्था, पुरातत्व और पर्यटन का संगम


मैकल पर्वत श्रृंखला की सुरम्य वादियों में स्थित भोरमदेव मंदिर, अपनी अद्भुत शिल्पकला और स्थापत्य के कारण “छत्तीसगढ़ का खजुराहो“ कहा जाता है। यह मंदिर हजार वर्षों से अधिक समय से आस्था, संस्कृति और विरासत का केंद्र बना हुआ है। भोरमदेव महोत्सव न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पर्यटन को भी बढ़ावा देने में सहायक है। ऐसे में इस ऐतिहासिक आयोजन को यादगार बनाने के लिए प्रशासन, जनप्रतिनिधि और स्थानीय नागरिक पूरी तन्मयता से तैयारियों की जा रही है।

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