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विधानसभा में बिना अवरोध लगातार सकारात्मक चर्चाओं से नया राजनीतिक वातावरण...?

  छत्तीसगढ़ . असल बात न्यूज़.         0 पॉलिटिकल रिपोर्ट              0 अशोक त्रिपाठी     ज्यादातर यही होता है,चाहे केंद्र हो अथवा राज्य,जहा...

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छत्तीसगढ़ .

असल बात न्यूज़.

        0 पॉलिटिकल रिपोर्ट    

        0 अशोक त्रिपाठी   

ज्यादातर यही होता है,चाहे केंद्र हो अथवा राज्य,जहां भी नए राजनीतिक दल की सरकार,सत्ता में आती है, नए चेहरे सत्ता में आ जाते हैं तो प्रारंभ के  कुछ वर्षों तक विरोध के मुखर स्वर कम ही सुनाई देते हैं.असल में यह स्वाभाविक है कि नई-नई सत्ता संभालने वाली सरकार के खिलाफ बोलने के लिए बहुत अधिक मुद्दे नहीं होते.नई-नई सत्ता संभालने वाली सरकार के कामकाज का शुरुआती समय,उसकी कार्यशाली को देखने-समझने,परखने, उसमें गलतियां खोजने का समय होता है तब उसे कोसने के लिए बहुत अधिक मुद्दा मिल भी नहीं पाता  है.छत्तीसगढ़ में भी ताजा राजनीतिक वातावरण में अभी काफी कुछ यही स्थिति है. राजनीतिक गलियारे में बहुत कुछ ऐसा ही दिख रहा है.अभी विधानसभा सत्र चल रहा है.यह तो आंकड़ों को निकालने पर ही स्पष्ट हो पाएगा कि छत्तीसगढ़ विधानसभा का सत्र बिना नारेबाजी प्रदर्शन के,बिना वॉकआउट के,बिना बहिर्गमन के.. कब सबसे अधिक चला है.. लेकिन चालू सत्र में भी यह सब बहुत कम देखने को मिल रहा हैं और सदन की पूरी कार्रवाई के दौरान चाहे वह प्रश्नोत्तर काल है,शून्य काल है  अनुदान मांगों का चर्चा अथवा  कटौती प्रस्ताव पर चर्चा  का विषय रहा हो, नए विधेयक पर चर्चा की बात रही हो रहे हो सभी विषयों पर सदन में काफी अच्छी चर्चा हुई है.पक्ष-विपक्ष दोनों के सदस्यों में इन चर्चाओ में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है.लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए है जरूरी है कि जो पंचायत के बड़े मंच हैं उनमें पक्ष विपक्ष के लोगों के बीच खुले मन से,सार्थक चर्चा होनी चाहिए, सकारात्मक चर्चा होनी चाहिए खुलकर चर्चा होनी चाहिए. सदन में जनता के हितों की बात आनी चाहिए.जन कल्याण के मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए.छत्तीसगढ़ में अभी इसके लिए भरपूर सकारात्मक वातावरण दिख रहा है.टोंका-टाकी अलग बात है,लेकिन चाहे सत्ता पक्ष के सदस्य हो अथवा विपक्ष के सदस्य किसी की बातों को,किसी के मुद्दों को 'दबोचने' दबाने,की कोशिश होती कहीं नजर नहीं आई है.यह इसलिए भी हो सकता है कि विपक्ष के लोग अभी अभी सत्ता से बाहर हुए हैं,और सरकार नई-नई है,तो आरोप विपक्ष के लोगों पर भी लगने लगते हैं. सत्ता पक्ष के लोग विपक्ष के सदस्यों को घेरने में कहीं पीछे रहते नहीं दिख रहे हैं. मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने सदन में एक दिन पहले अपनी अनुदान मांगों को प्रस्तुत करते के दौरान रामनगर दर्शन हेतु 36 करोड रुपए के प्रावधान की घोषणा के बारे में जानकारी दी तो सत्तापक्ष -विपक्ष,दोनों की तरफ से जय-जय श्री राम के नारे,गूंजते  सुनाई दिए. मतलब साफ है. राजनीतिक नजरिया से कहा जाए तो अब सभी मुद्दों पर सतर्कता बरतने की भी कोशिश की जा रही है.विपक्ष के सदस्यों को भी समझ में आ गया है कि अब जय-जय श्रीराम के नारे से परहेज करने से कोई फायदा नहीं है.और वह दूसरे दल को आगे इसका फायदा उठाने नहीं देने के लिए रणनीति बनाने की तरफ बढ़ रही है.

विधानसभा सत्र,का निश्चित रूप से  विपक्ष के सदस्यों को विशेष तौर पर इंतजार रहता है.यह उसके लिए एक बड़ा अवसर होता है.विपक्ष के सदस्यों के लिए यह सरकार को कटघरे में खड़ा करने का एक बड़ा मंच होता है.इस दौरान दूसरे सारे कामकाज तो होते ही है,सरकार आपने कई कार्यो को निपटाती है तो वही यहां विपक्ष के सदस्यों को सरकार की कमियों को गिनाने, अपने क्षेत्र और वहां की जनता की समस्याओं को बताने, सरकार की लापरवाहियों,गलत नीतियों,गलत कार्यों का विरोध करने का बड़ा मंच होता है. तो ऐसे में विपक्षी सदस्यों के द्वारा विधानसभा सत्र के लिए विशेष तौर पर तैयारियों की जाती हैं. काफी स्टडी की जाती है. सरकार किस तरह से तैयारी करती है यह तो सबको मालूम ही होगा.सत्र शुरू होने के कई दिनों के पहले से ही लगभग सभी विभाग, विधानसभा के प्रश्नों को तैयार करने में ही बिजी रहते दिखने लगते हैं. तब इन विभागों के दूसरे कार्य एक तरह से गौण होकर रह जाते हैं. हम ताजा स्थिति को देखे तो छत्तीसगढ़ के विधानसभा में अभी पिछली सरकार के कामकाजों पर भी काफी चर्चा हो रही है. सत्ता पक्ष के सदस्य मौका मिलते ही पिछले सरकार की कमियों को उजागर कर रहे हैं उसे बार-बार गिनाने में पीछे नहीं रह रहे हैं. दूसरी तरफ विपक्ष के सदस्य बार-बार, इसकी तोड़ में यही मुद्दा उठा रहे हैं कि एक साल में  इस सरकार ने क्या किया है,इसके बारे में जनता को बताओ. पिछली सरकार के 5 सालों में प्रधानमंत्री आवास नहीं बनाने, पीएससी घोटाला,और चारों आर्थिक घोटाला का मुद्दा अभी भी गूंज रहा है. विपक्ष के सदस्य,सरकार को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश में बार-बार यह प्रश्न उठाते जरुर दिख रहे हैं कि यह सरकार आखिर चला कौन रहा है.

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने अपने विभागों  की अनुदान मांगों पर चर्चा के दौरान यह बार-बार दोहराया है कि यह सांय-सांय काम करने वाली सरकार है. इसी चर्चा के दौरान उन्होंने आम जनता को लालफीताशाही,भ्रष्टाचार से मुक्त करने पर बड़ा जोर दिया है. दिन भर भागों में जिन विभागों में आम लोगों के कामकाज में भ्रष्टाचार की बहुत अधिक शिकायतें हैं वहां की सारी फाइलें,अब कंप्यूटर से चलेंगी और अधिकारी किसी भी फाइल को लेनदेन के लिए रोक नहीं सकेंगे. इससे दावा किया गया है कि शासकीय कामकाज को सुधारा जा सकेगा. अब मंत्रियों के स्वेच्छानुदान का बजट बढ़ा दिया गया है. 


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