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स्वरूपानंद महाविद्यालय द्वारा मट्ठा प्रमोशन: "प्राकृतिक प्रोबायोटिक पेय—मट्ठा"

  भिलाई. असल बात news.    माइक्रोबायोलॉजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया (एमबीएसआई) एवं स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय, हुडको, भिलाई के माइ...

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भिलाई.

असल बात news.   

माइक्रोबायोलॉजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया (एमबीएसआई) एवं स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय, हुडको, भिलाई के माइक्रोबायोलॉजी विभाग द्वारा प्राकृतिक प्रोबायोटिक पेय—मट्ठा (छाछ) के प्रचार-प्रसार के लिए विशेष पहल की गई। इस आयोजन के दौरान मट्ठे के स्वास्थ्यवर्धक गुणों को छात्रों एवं प्रतिभागियों के बीच प्रचारित किया गया, जिसे सभी ने उत्साहपूर्वक ग्रहण किया।

कार्यशाला में सेंट थॉमस कॉलेज, भिलाई की जैव प्रौद्योगिकी एवं माइक्रोबायोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. वी. शांति मुख्य अतिथि रहीं। कार्यक्रम में महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला, डॉ. शमा ए. बेग विभागाध्यक्ष, माइक्रोबायोलॉजी, शिवानी शर्मा विभागाध्यक्ष, बायोटेक्नोलॉजी तथा बायोइनोवेल्स के निदेशक श्री देवाशीष साहू उपस्थित रहे। सभी अतिथियों ने भी मट्ठे का स्वाद चखा और उसके प्रमोशन में योगदान दिया।

कार्यशाला के दौरान प्रतिभागियों को पौधों से प्राप्त चयापचयों (मेटाबोलाइट्स) के औषधीय एवं स्वास्थ्यवर्धक गुणों की विस्तृत जानकारी दी गई। इसी संदर्भ में एमबीएसआई द्वारा मट्ठे के प्रमोशन की विशेष पहल की गई, ताकि अधिक से अधिक लोग इसके फायदों से अवगत हो सकें।

मट्ठा, जिसे छाछ भी कहा जाता है, एक प्राकृतिक प्रोबायोटिक पेय है जो पाचन तंत्र को मजबूत करता है, आंतों के स्वास्थ्य में सुधार लाता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। इसमें मौजूद लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया पाचन क्रिया को दुरुस्त रखते हैं और गैस्ट्रिक समस्याओं को कम करते हैं। मट्ठे का नियमित सेवन शरीर को ठंडक प्रदान करता है, डिहाइड्रेशन से बचाता है, एसिडिटी कम करता है और शरीर में पोषक तत्वों के संतुलन को बनाए रखता है।

इस आयोजन के माध्यम से प्रतिभागियों ने न केवल पौधों से प्राप्त जैव-सक्रिय यौगिकों की वैज्ञानिक अवधारणाओं को समझा, बल्कि मट्ठे के महत्व और उसके स्वास्थ्य लाभों को भी अनुभव किया। एमबीएसआई  द्वारा किए गए इस प्रयास से छात्रों एवं शोधकर्ताओं को प्राकृतिक खाद्य पदार्थों और प्रोबायोटिक्स के महत्व को समझने का अवसर मिला। यह पहल सतत स्वास्थ्य जागरूकता एवं पारंपरिक भारतीय पोषण को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई।