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स्वरूपानंद महाविद्यालय में सात दिवसीय अटल बेसिक एफडीपी का समापन औद्योगिक भ्रमण से

  भिलाई. असल बात news.  स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय हुडको भिलाई में एआईसीटीई ट्रेनिंग एण्ड लर्निंग (अटल) अकादमी के सहयोग से उ...

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भिलाई.

असल बात news. 

स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय हुडको भिलाई में एआईसीटीई ट्रेनिंग एण्ड लर्निंग (अटल) अकादमी के सहयोग से उद्यमिता और स्टार्टअप इकोसिस्टम विषय पर आयोजित फैकल्टी डेवलपमेंट कार्यक्रम का समापन सत्र डॉ. सुमित गुप्ता प्राध्यापक आईआईएम रायपुर के व्याख्यान और औद्योगिक भ्रमण से हुआ।

महाविद्यालय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. दीपक शर्मा एवं श्री शंकराचार्य नर्सिंग महाविद्यालय की मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. मोनिशा शर्मा ने कार्यक्रम आयोजन के लिए बधाई दी एवं कहा सरकारी संस्थाए एवं  व्यावसायिक संगठन के साथ मिलकर हम विद्यार्थियों को स्टार्टअप शुरू करने के लिए प्रेरित कर सकते है जिससे वे रोजगार ना ढूंढ कर रोजगार देने वाले बने और देश के आर्थिक विकास में अपना योगदान दे। 

डॉ. सुमित गुप्ता प्राध्यापक आईआईएम रायपुर ने “उद्यमिता चर्चा डेटा विश्लेषण दृष्टिकोण” विषय पर अपने व्याख्यान में बताया उद्यमिता में डेटा विश्लेषण महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है विभिन्न स्त्रोतों से डेटा संग्रहण करना ग्राहकों की जानकारी के आँकड़े को एकत्रित कर के उसका विश्लेषण करना, उसके आधार पर निर्णय ले हम अपने व्यवसाय को बढ़ा सकते है उन्होंने अमेजान, ओला, जीवनसाथी डॉटकाम, जोमैटो आदि उदाहरण के माध्यम से बताया कि ऑनलाइन प्लेटफार्म में निर्माता और उपभोक्ता के बीच की दूरी को कम करने के लिए नये विचार से स्टार्ट-अप शुरू किया जा सकता है। ऐसे स्टार्ट-अप में उद्यमी को व्यवसाय शुरू करने के पश्चात् बाजार में बने रहने के लिए नितनए अनुसन्धान और प्रोद्योगिकी का प्रयोग करना होता है। 

प्रतिभागियों को औद्योगिक भ्रमण हेतु एमएसएमई टेक्नालॉजी सेंटर रसमड़ा  दुर्ग ले जाया गया यह एफडीपी का ही हिस्सा था। कार्यक्रम में विषय विशेषज्ञों ने अपने विचारों से स्टार्ट-अप प्रारंभ करने के लिये नई दिशा दी। पूर्व सत्रों के वक्ता एवम व्यक्तव्य के मुख्य बिंदु अग्रनुसार है-दूसरे दिन के प्रथम सत्र के वक्ता श्री विष्णु वैभव द्विवेदी, मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी आईआईटी भिलाई ने प्रौद्योगिकी उद्यमियों के लिये बाजार की रणनीतियॉं विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा उद्यमिता छोटी बजट से प्रारंभ होती है सीमित संसाधनों से आरंभ कर धीरे-धीरे बड़े पैमाने पर बढ़ाना चाहिये यह तरीका वर्तमान की चुनौतियों का सामना करने के साथ भविष्य में भारत को वैश्विक पटल पर लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने बताया जब तकनीकी मेडिकल साईंस, शिक्षा या इंजीनियरिंग से मिलती है तो क्रंातिकारी परिवर्तन होता है। हमें बाजार की मांग को ध्यान में रखते हुये अपना स्टार्ट-अप करना होगा। उन्होंने बताया आईआईटी भिलाई ने कम समय में ही 50 से अधिक पेटेंट और 300 से अधिक राष्ट्रीय स्तर पर नौकरी सृजित किया है।

द्वितीय सत्र की वक्ता डॉं. हंसा शुक्ला प्राचार्य स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती  महाविद्यालय ने ”उद्यमशीलता: प्रेरणा और चुनौतियॉं“ विषय पर अपने व्याख्यान में बताया अगर आप बिजनेस प्रारंभ कर रहे है तो आप कभी न सोचे की मैं मार्केट में बना रहूगा बल्कि हमेशा यह सोच होनी चाहिए कि मैं मार्केट से बाहर हो सकता हू यह सोच आपको नवीन आईडिया के लिये प्रेरित करेगा। आज का स्टार्ट-अप कल का बिजनेसमैन बनेगा। बाबा रामदेव जिन्होंने सम्पूर्ण विश्व में हमारे आयुर्वेद को पहुचाया पदमश्री फूलवासन  ने महिला स्व सहायता समूह से कार्य की शुरुआत की आज उनका लाखो का टर्नओवर है । छत्तीसगढ़ में पर्यटन, कला व संस्कृति प्रत्येक क्षेत्र में स्टार्ट-अप की असीम सम्भावनाये है।

तीसरे दिन के प्रथम सत्र के वक्ता श्री तुषार त्रिपाठी सहायक निर्देशक जिला उद्योग केन्द्र ने ”स्टार्ट-अप के लिये पंजीकरण और दस्तापंजीकरण“ विषय पर विस्तार से जानकारी दी व बताया सरकार छोटे, मध्यम व बड़े उद्योगों को उनके निवेश के आधार पर वर्गीकृत करती है व उद्योग के जगह विकसित, विकासशील व पिछड़े क्षेत्र के आधार पर वर्गीकृत कर फंड व सुविधायें उपलब्ध कराती है। उन्होंने बताया अगर इंडस्ट्रीयल एरिया है तो व्यवसाय प्रारंभ करने के लिये अच्छा है क्योंकि लोन व सब्सीडी मिलने में आसानी होती है अगर आप स्टार्ट-अप कर रहे है तो पहले उद्यम आकांक्षा पर पंजीयन करायें यह निःशुल्क होती है, पंजीकृत होने के बाद आप बैंक व सरकारी एजेंसियों से लोन ले सकते है उन्होंने लोन लेने की प्रक्रिया, मिलने वाले रियायतों, सरकार द्वारा चलाई जाने वाली पीएम ईजीपी, मुद्रा योजना की जानकारी देने के साथ ही आवश्यक दस्तावेजों की जानकारी दी।

द्वितीय सत्र की वक्ता कार्यक्रम की सह-संयोजक डॉ. शिवानी शर्मा विभागाध्यक्ष बायोटेक्नोलॉजी ने ”छत्तीसगढ़ में जैव उद्यमिता का विकास विषय पर अपने व्याख्यान में बताया छत्तीसगढ़ जैवविविधता वाला प्रदेश है और यहां अनेक औषधिय पौधे है जिसे लेकर अनुसंधान व स्टार्ट-अप प्रारंभ किया जा सकता है मिलेट की खेती जो कम पानी में भी आसानी से उगाया जा सकता है पर्ल उत्पादन, गोल्डन राईस, मशरुम उत्पादन, कोसा उद्योग के बारे में विस्तार से जानकारी दी व बताया ‘कैप्स’ सुभाषचन्द्र बोस बायोटेक्नोलॉजी इन्क्यूबेसन संस्था जो जैव प्रौद्योगिकी से संबंधित उत्पादन कर रहे है उन्हें फंड देती है महिला उद्यमिय के लिये बिना ब्याज का ही लोन दिया जाता है उन्होंने बताया प्रमिला देवी जो लाख का उत्पादन करती है और उसके लाभ को बच्चों के शिक्षा में खर्च करती है के बारे में जानकारी दी।

तृतीय दिवस के वक्ता डॉ. आर एन पटेल एसोसिएट प्रोफेसर एनआईटी ने “सफल उत्पाद विकास और व्यवहार्यता” मूल्यांकन विषय पर अपने व्याख्यान में कहा व्यवसाय प्रारंभ करने के लिये पूंजी की आवश्यकता होती है व्यवसाय प्रारंभ करने के लिए लोन लेते है या अपना जिंदगी भर की बचत को दांव पर लगाते है। किसी व्यवसाय की विफलता का मतलब पैसे को खोना है अतः जोखिम का आकलन जरूर करें।

द्वितीय सत्र की वक्ता डॉ. हंसा शुक्ला ने छत्तीसगढ़ की कला एवं संस्कृति विषय पर अपने व्याख्यान में छत्तीसगढ़ का नृत्य, संगीत, वाद्ययंत्र व्यंजनों की जानकारी दी व कहा अगर हम अपने शादी आदि समारोह में डीजे की जगह भरतरी, चंदैनी गोंदा, पंडवानी आदि लोक कला का आयोजन करें तो छत्तीसगढ़ की संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा उन्होंने विद्यार्थियों के छोटे-छोटे समूह बना एतिहासिक स्थलों की विडियो बना यूटूब में अपलोड करने की बात कही इससे हमारे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। 

पांचवे दिन के वक्ता डॉ. आदित्य सोमानी एसोसिएट प्रोफेसर मनोचिकित्सक एम्स रायपुर छतीसगढ़ ने कार्यस्थल और परिवार के बीच संतुलन स्थापित करने की बात कही तथा मानसिक तनाव से निपटने के उपायों और अपने व्यवसायिक जीवन में संतुलन बनाए रखने की तरीकों पर मार्गदर्शन किया।

सत्र के बाद आर्टिकल डिस्कशन हुआ जिसमें प्रतिभागियों ने अपने विचार व्यक्त किये। प्राध्यापकों ने कार्यक्रम आयोजन की सराहना करते हुये कहा एफडीपी नई शिक्षा नीति के अनुरुप है कार्यक्रम से हम अपने विद्यार्थियों को स्टार्ट-अप के लिये प्रेरित करने के साथ-साथ पंजीयन प्रक्रिया, बाजार की चुनौतियॉं व बारीकियों को बता सकते है। डॉ. ममता सिंह प्राचार्य साई महाविद्यालय, भिलाई ने कहा उद्यमी बनने से पूर्व कॉपरेट क्षेत्र में काम का अनुभव लेने दें फिर स्टार्ट-अप शुरु करे इससे अनुभव का लाभ मिलता है। डॉ. अनुपम तिवारी सह.प्रा एवं विभागाध्यक्ष ग्रामीण प्रोद्योगिकी विभाग डॉ. सीवी रमन विश्वविद्यालय बिलासपुर ने कहा कि इस कार्यक्रम से हमें जानकारी मिली कि व्यवसाय के लघु इकाई की शुरुआत हम विश्वविद्यालय और महाविद्यालय में कैसे कर सकते है और विद्यार्थियों को उद्यमिता के लिए प्रेरित कर सकते है डॉ. नीलम गांधी स.प्रा वाणिज्य सेंथ थामस महाविद्यालय ने कहा मुझे एंटरप्रेन्योरशिप पढ़ाते पंद्रह वर्ष हो चुके है पर इन पांच दिनों में जो व्यावहारिक ज्ञान मिला वह पंद्रह वर्षों में भी नहीं मिला। बीआईटी के सहा.प्रा. शशांक चंद्रा ने केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा दिये जाने वाले फंडो के बारे में बताते हुये ज्यादा से ज्यादा विद्यार्थियों को फंड देने की बात कही भले ही वह छोटे बजट ही क्यों न हों। डॉ. हरीश कश्यप सहा.प्रा. वाणिज्य कल्याण महाविद्यालय ने शिक्षा संस्थानों व उद्योगपतियों के बीच एमओयू साईन करने की बात कही जिससे विद्यार्थियों को व्यवहारिक अनुभव मिल सकें।

श्रीमती विनिता गुप्ता ने हैण्डस ऑन  ट्रेनिंग के अंतर्गत प्रतिभागियों को कपडे में गोदना आर्ट व क्ले से ढोकरा ज्वेलरी बनाना सिखाया जिसमें हिमांशु चंद्राकर ने सहयोग दिया।

प्रतिदिन आर्टिकल डिस्कशन एवं प्रश्नोत्तर सेशन का संचालन डॉ. शमा ए बेग विभागाध्यक्ष माईक्रोबायोलॉजी ने किया। कार्यक्रम में मंच संचालन सहायक प्राध्यापक संयुक्ता पाढ़ी विभागाध्यक्ष अंग्रेजी एवं हितेश सोनवानी प्राध्यापक अंग्रेजी ने किया।

कार्यक्रम को सफल बनाने में आयोजन समिति सदस्य डॉ. रजनी मुदलियार, डॉ. सुनीता वर्मा, डॉ. मीना मिश्रा, श्रीमती खुशबू पाठक, श्रीमती रुपाली खर्चे, श्रीमती एन. बबीता, डॉ. शर्मिला सामल, श्रीमती कामिनी वर्मा, हितेश सोनवानी, श्री जमुना प्रसाद, योगिता लोखण्डे, श्रीमती श्रीलथा नायर, श्रीमती मोनिका मेश्राम, संजना सोलोमन, समीक्षा मिश्रा, विजय मिश्रा, निकिता देवांगन, रश्मि बनाज, मोहिनी शर्मा ने विशेष योगदान दिया। 

फैकल्टी डेवलपमेंट कार्यक्रम में अंजनेय विश्वविद्यालय, भिलाई इंस्टीटयूट ऑफ टेक्नोलॉजी, दुर्ग, श्री शंकराचार्य इंस्टीटयूट ऑफ प्रोफेशनल मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी, रायपुर, भिलाई प्रौद्योगिकी संस्थान, दुर्ग, सेठ आरसीएस आर्टस एवं कामर्स महाविद्यालय दुर्ग, देव संस्कृति कॉलेज ऑफ एजुकेशन एण्ड टेक्नोलॉजी खपरी दुर्ग, शासकीय जे योगानंद छतीसगढ़ महाविद्यालय रायपुर, शासकीय राजमाता विजयाराजे सिंधिया कन्या महाविद्यालय कवर्धा, श्री शंकराचार्य तकनीकी परिसर, भिलाई, श्री शंकराचार्य प्रोफेशनल यूनिवर्ससिटी, भिलाई, कलिंगा विश्वविद्यालय, रायपुर, स्वामी आत्मानंद शासकीय इंग्लिश मीडियम मॉडल महाविद्यालय, धनोरा, सेंट थॉमस महाविद्यालय, भिलाई, कल्याण पीजी महाविद्यालय, भिलाई, शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय, दुर्ग, कृष्णा इंस्टीटयूट ऑफ साइंस एण्ड कामर्स महाविद्यालय, खम्हरिया, भिलाई, डॉ. सीवी रमन विश्वविद्यालय बिलासपुर, खालसा महाविद्यालय दुर्ग, शहीद दुर्वासा निषाद शासकीय महाविद्यालय अर्जुन्दा, शासकीय स्वामी विवेकानंद महाविद्यालय, कबीरधाम, साई महाविद्यालय, भिलाई, घनश्याम सिंह आर्य कन्या महाविद्यालय, दुर्ग, उदय महाविद्यालय, जामुल, जीडीआरसीएसटी, भारतीय विश्वविद्यालय, भिलाई नायर समाजम महाविद्यालय, भिलाई, आईआईटी भिलाई श्री शंकराचार्य महाविद्यालय जुनवानी भिलाई, भिलाई महिला महाविद्यालय, भिलाई के प्राध्यापक एवं शोधार्थी शामिल हुये।