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बस्तर की महिलाओं को सैनेटरी पैड के प्रति जागरुक कर करमजीत कौर ने बनी पैडवुमन

  छत्तीसगढ़ का बस्तर क्षेत्र, जिसे अक्सर पिछड़ा हुआ माना जाता है, आज भी कई मामलों में विकास और जागरूकता की कमी से जूझ रहा है. विशेष रूप से म...

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 छत्तीसगढ़ का बस्तर क्षेत्र, जिसे अक्सर पिछड़ा हुआ माना जाता है, आज भी कई मामलों में विकास और जागरूकता की कमी से जूझ रहा है. विशेष रूप से माहवारी यानी मासिक धर्म के बारे में ग्रामीण इलाकों में जानकारी की भारी कमी है. बस्तर संभाग में, केवल 30 प्रतिशत महिलाएं सैनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल करती हैं, जबकि 10% युवतियां इसे एक बीमारी मानती हैं. यह स्थिति चिंता का विषय है, क्योंकि माहवारी के दौरान साफ-सफाई की कमी से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं.

इस सामाजिक समस्या के समाधान के लिए बस्तर की एक महिला ने एक क्रांतिकारी कदम उठाया है, और वह हैं करमजीत कौर, जिन्हें अब ‘पैडवुमन’ के नाम से जाना जाता है. करमजीत कौर एक समाजसेवी और जागरूकता अभियान की नेता हैं, जो पिछले छह वर्षों से बस्तर के ग्रामीण और शहरी इलाकों में माहवारी पर जागरूकता फैला रही हैं. उनकी संस्था ‘दी बस्तर केयर फाउंडेशन’ के माध्यम से वह महिलाओं को मुफ्त सैनिटरी नैपकिन्स प्रदान करती हैं और माहवारी से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं पर जानकारी देती हैं.

करमजीत कौर ने media से बातचीत में बताया कि बस्तर के ग्रामीण इलाकों में महिलाएं और किशोरियां अभी भी माहवारी के दौरान कपड़े का इस्तेमाल करती हैं, जिससे गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. यह स्थिति देखकर उन्होंने ‘दी बस्तर केयर फाउंडेशन’ की शुरुआत की, और अपनी संस्था के माध्यम से वह इस मुद्दे पर लगातार काम कर रही हैं.

2016 में, बस्तर में माहवारी से संबंधित रोगों का बढ़ता खतरा देख कर करमजीत कौर ने अपनी संस्था के जरिए जागरूकता अभियान शुरू किया. उन्होंने बस्तर के गांवों में शिविर आयोजित किए, जहां महिलाओं को सैनिटरी नैपकिन के उपयोग के फायदे बताए गए और नि:शुल्क सैनिटरी नैपकिन्स का वितरण किया गया. इसके साथ ही उन्होंने ‘पैड बैंक’ की स्थापना की, जो महिलाओं को मुफ्त सैनिटरी नैपकिन्स मुहैया कराता है.

करमजीत कौर और उनकी टीम को बस्तर के नागरिकों का समर्थन मिला, जिन्होंने पैड बैंक में नैपकिन्स देकर इस अभियान को सफल बनाया. शुरुआत में महिलाएं झिझक के कारण सामने नहीं आती थीं, लेकिन धीरे-धीरे इस अभियान ने बस्तर के अंदरूनी इलाकों में अपनी पकड़ मजबूत की. अब अधिकतर महिलाएं और किशोरी बालिकाएं सैनिटरी नैपकिन का उपयोग करती हैं.

करमजीत कौर की मेहनत और नारी शक्ति के प्रति उनके योगदान को मान्यता मिली है. उन्हें दिल्ली में आयोजित ‘नेशनल वूमेन एक्सीलेंस अवार्ड’ से सम्मानित किया गया है और कई सरकारी व निजी संस्थाओं द्वारा सराहा गया है. बस्तर में उनके कार्य को लेकर उन्हें मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया जाता है और उनकी टीम की सराहना की जाती है.

करमजीत कौर और उनकी टीम ने बस्तर के ग्रामीण इलाकों में माहवारी से जुड़ी जागरूकता फैलाकर एक बड़ा बदलाव लाया है. अब बस्तर जिले में महिलाएं और युवतियां सैनिटरी नैपकिन का उपयोग करने में संकोच नहीं करतीं और इससे जुड़ी बीमारियों की संख्या भी कम हो रही है. करमजीत कौर और उनकी टीम का यह अभियान न केवल बस्तर, बल्कि पूरे देश में एक मिसाल बन चुका है. यह समाज के हर वर्ग को यह सिखाता है कि जागरूकता और सही जानकारी के साथ हम किसी भी सामाजिक समस्या का समाधान कर सकते हैं.