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निगम, मंडल, आयोग की सूची घोषित होते ही भाजपाइयों में जूतम पैजार

असल बात न्यूज  निगम, मंडल, आयोग की सूची घोषित होते ही भाजपाइयों में जूतम पैजार पैसा और चाटुकारिता के आधार पर की गई नियुक्तियां रायपुर। प्रदे...

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असल बात न्यूज 

निगम, मंडल, आयोग की सूची घोषित होते ही भाजपाइयों में जूतम पैजार

पैसा और चाटुकारिता के आधार पर की गई नियुक्तियां

रायपुर। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि सवा साल के लंबे इंतज़ार के बाद निगम, मंडल, आयोग की सूची घोषित होते ही भाजपाइयों में जूतम पैजार मचा हुआ है। लाल बत्ती का इंतजार कर रहे अपने ही पार्टी के नेता और कार्यकर्ताओं को साय सरकार ने एक बार फिर ठगा है। कल जारी 36 नेताओं की सूची में कुछ ऐसे भी हैं जो भाजपा के प्राथमिक सदस्य तक नहीं, वे भी पद खरीद लिए। पैसा और चाटुकारिता के आधार पर की नियुक्तियां गई है। दुग्ध संघ का तो अधिग्रहण कर नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) को दे दिया है, अब केदार गुप्ता क्या गाय भैंस चरायेंगे?

प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि विलोपित और न्यायालयों से स्थगन प्राप्त कई पदों पर भी अवैधानिक नियुक्ति किया गया है। राज्य महिला समाज कल्याण आयोग को केंद्र की मोदी सरकार ने 2019 में ही समाप्त कर दिया है, उसमें भी साय सरकार में नियुक्ति किया। कुछ आयोग के अध्यक्ष जो संवैधानिक पद हैं, जिनका कार्यकाल अभी बाकी है, उन पदों पर भी नियुक्ति किया गया है, जो न केवल असंवैधानिक है बल्कि उच्च न्यायालय की अवमानना भी है। स्पष्ट है कि निगम मंडलों की जारी सूची भाजपा के वरिष्ठ नेता ननकीराम कंवर की आशंका के अनुरूप है।

प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि साय सरकार ने अपने ही नेता और कार्यकर्ताओं को अप्रैल फूल बनाया है। वंशवाद भी इनका जुमला है, अपने संघर्षशील कार्यकर्ताओं को अपमानित करने नीलू शर्मा, राकेश पाण्डेय सहित कई नेता पुत्रों और उनके परिजनों को उपकृत किया। सीएसआईडीसी और पाठ्य पुस्तक निगम को जैम संचालित करती है। जिसने अपने पूरे जीवन खादी नहीं पहनी उस राकेश पांडे (भाजपा नेत्री सरोज पांडे का सगा भाई) को खादी ग्रामोद्योग बोर्ड का अध्यक्ष बनाकर सरोज पांडे को झुनझुना पकड़ाया है। चर्चा तो यह भी है कि सूची में ऐसे भी नाम है जो अब तक भाजपा के प्राथमिक सदस्य भी नहीं है, सवाल यह है कि बोली लगी या सौगात मिला? एक नेता ने तो पद संभालने से पहले ही इस्तीफा दे दिया।